जिंदगी एक सफर है और
सफर में रहते हुए हम बहुत कुछ सीखते है। जब तक हम जीवित रहते है तब तक नित नूतन
चीजों से रूबरू होते रहते है और हर क्षण, हर रोज हम कुछ
न कुछ बातों को दूसरों के सामने रखते है और बहुत सी बातों को दूसरों से ग्रहण करते
हैं। हम अपने अस्तित्व को लेकर बहुत आगे जाना चाहते है। कई बार हम बहुत कौशिश भी
करते हैं, कई बार हम बहुत कम प्रयास करने से भी हम वहां तक पहुंच जाते है। जहां की
हमने कभी कल्पना भी नहीं की होती है। इस जीत के पीछे बहुत से लोगों का हाथ रहता है
जिसे कुछ लोग भूल जाते है जबकि बहुत से लोग अपने अच्छे-बुरे दिनों को याद रखते है,
जीवन में उस हर व्यक्ति का महत्व को समझते है जो किसी न किसी रूप से जुड़ा रहा। किसी
भी एक व्यक्तित्व को बनने में गुरु, माता-पिता, भाई, बहन, दोस्त, सगे-संबंधियों और
सहकर्मियों की भी अहम भूमिका होती है। कुछ लोग उत्प्रेरक का काम करते है, जब कि कुछ
लोग मोटिवेशन का काम करते है, कुछ लोग जीवन में बहुत अहम बन जाते है। मेरे जीवन
में भी कुछ ऐसे नाम जुड़े है जिनका महत्व कम समय के लिए रहा लेकिन अधिका
प्रभावशाली रहा जैसे पूनम चौधरी जो कि एक दोस्त, बहन और सहकर्मी के तौर मैं उन्हें
कह सकता हूं लेकिन कई जगह वह गुरू भी सिद्ध हुई, लोगों को पहचानने में मदद की और
मेरा मार्ग दर्शन समय समय पर किया में पूनम का यह उपकार जीवन प्रयंत याद रखूगां।
दूसरा व्यक्तित्व देवाशीष जो कि मेरे बड़े भाई जैसे है, लेकिन मेरे दोस्त भी है।
जीवन में कुछ लोगों से जोड़ने और कुछ लोगों से दूरी बनाएं रखने का ज्ञान मुझे
देवाशीष भाई से प्राप्त हुआ। देव भाई का हमेशा मेरा साथ देना, समय समय पर मुझे नई
ऊर्जा के संचार के लिए, लम्बे-लम्बे लेक्चर देना सब अब याद आता है। पुष्पेंदर कौर
का कम कद लेकिन बड़ा व्यक्तित्व मेरे समक्ष एक ऐसा उदाहरण है जिसमें में गागर
समझता था, लेकिन वह तो विशाल सागर के रूप में हमें मिली। एक व्यक्तित्व में इतनी
सारी खूबियां...... बाप रे बाप.... ऐसा कमाल की हर जगह अपनी छाप छोड़ना। नारी
शक्ति का जीता जागता उहादरण। पुष्पेंदर जैसे लोगों से मिलकर लगता है कि धरा पर
बहुत प्रभावशाली और अच्छे लोग भी हमारे बीच मौजूद है। एक ओर सुनिल कालिया सर भी
कुछ ऐसा ही चहरा था जिसे याद कर के भी चहरे पर मुस्कान आ जाती है। कालिया सर, बड़े
ही डाउन-टू-अर्थ थे। लिडरशिप क्वेलिटी से परिपूर्ण, अनुभवी और जितना बड़ा ज्ञान का
भंडार उतने ही दूसरे से सीखने की लालसा लिए कालिया सर हर किसी से बड़ी ही सहजता से
मिलते थे। संदीप महाजन साहब बहुत ही सधे हुए व्यक्तित्व है। उनसे मिलकर भी बहुत ही
सुंखद महसूस होता है। बड़ी ही गर्मजोशी के साथ मिलने वाले संदीप जी भी मेरे स्मृति
में सदैव बने रहेंगे। जसप्रीत कौर बहुत ही लगनशील और अपनी बात पर अडिग रहने वाली
महिला के रूप में सदैव मेरी स्मृति में रहेंगी। जितने दिन भी उन्होंने हम सब के
साथ काम किया सदैव एक सकारात्म माहौल बनाए रखा एक महिला का जो स्वभाव होता है उन
सब से कही दूर उनका व्यक्तित्व बहुत से लोगों के मार्गदर्शन के लिए काम आया।
संस्थान की ओर से बहुत अच्छे काम करने वाले व्यक्तियों में शामिल जसप्रीत बड़ी ही
निष्ठा के साथ अपना काम किया करती थी। साथ में सभी के साथ एक अच्छा व्यवहार उनका
बहुत ही सधा हुआ है जो कि हम सब को एक साथ कैसे रहे.... कि कला सिखाता है।
सोनाक्षी एक छोटी सी बिल्कुल नयी सहयोगी के रूप में मेरे आफिस में जाइन किया था।
देखने में बहुत ही साधारण सी लेकिन काम-काज में किसी पारागत व्यक्ति से कम नहीं।
इनता अच्छा ग्राफिक तैयार करतीं थी। कि देखने वाले देखते रह जाए। बहुत ही उम्दा
ग्राफिक डिजाइनर सोनाक्षी अपने मंजील की ओर उन्मुख है और जीवन पद के लिए अनेक-अनेक
बधाई।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgu2EnmKiorXxUboDyOnRbdeOyxNDXZ5ygp-jwHpumQITGooKs9NdVOEsfsVeJvUlyT3-GDNcIGSbkAgeKNy2ObsYLinLwkKGahGkqNiAXZhQCEqdqxEAf7_z_6OoO9OUkiw5roD9sOixol/s1600/DSC08763.JPG)
-
© सुरेंद्र कुमार अधाना
पूनम चौधरी (बाएं) प्रवक्ता आईएफटीआई, जसप्रीत कौर (प्रवक्ता, दीवान
इंस्टीट्यूट), सुरेंद्र कुमार अधाना
(प्रवक्ता, सुभारती विवि), सोनाक्षी गुप्ता (ग्राफिक डिजाइनर), पुष्पेंदर
कौर (प्रवक्ता, एल.पी.यूनिवसिटी)