Thursday 2 August 2012

आज अचानक आप हमें ना जाने क्यू याद आए हैं


यादों के मुकाम में हमने नित नए सपने सजाए हैं...
आज अचानक आप हमें ना जाने क्यू याद आए हैं...
हमने तो दफन कर ली है अपनी संवेदनाएं भी...
बार-बार आंखे क्यूं आप का चहरा दिखाए हैं...
आज अचानक आप हमें ना जाने क्यू याद आए हैं...
हमने तो यादों को सचेत कर दिया था कि...
बीते पलों की याद न दिलाया करें हाल-ए-दिल को...
इस विरह की बेला को क्यों फिर से याद कराए है...
आज अचानक आप हमें ना जाने क्यू याद आए हैं...
पुराने गीतों की तरह सोना सी हो गई हैं अपनी यादें...
जिनकी कीमत समय के साथ-साथ स्वयं बढ़ जाए हैं...
आज अचानक आप हमें ना जाने क्यू याद आए हैं...
खूखे फूलों की पत्ती की तरह हो गई है जिंदगी अपनी...
लेकिन मध्म-मध्म खुशबू फिर भी न जाने कहा से आए है...
आज अचानक आप हमें ना जाने क्यू याद आए हैं...
बड़ी मुश्किल से मन को लगाया था अपने को संभालने में...
लेकिन न जाने क्यूं ये दिल फिर भी आप की ओर खिंचा चला आए है...
आज अचानक आप हमें ना जाने क्यू याद आए हैं...
--------------- © सुरेंद्र कुमार अधाना

2 comments:

पंकज कुमार said...

I am sorry I wanted to write in Hindi but not being fluent in Hindi typing i am writing in English...

Some lines touched, some are twisted, some are heart touching...These are better and looking for best to read...

Surender Kumar Adhana said...

thank you . Pankaj Bhai.

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