आज 15 जनवरी 2015 है, यानि आर्मी दिवस। बहुत से लोग इस दिवस से परिचित नहीं होंगें, और हो भी तो कैसे। हमारी शिक्षा प्रणाली है ही ऐसी- जो बात काम आए या याद करने योग्य हो उसे तो किताबों में नहीं रखा जाता है। जो कभी काम न आए उन सब चीजों को रटाया जाता है। देश की जानकारी का विस्तार के लिए कोई पहल नहीं होती। सरकारी स्कूलों की दिवारों पर कुछ अच्छी कुटेश्न मिल भी जाती हैं, लेकिन निजी स्कूलों को उन सब से कोई सरोकार ही नहीं है। इन सब से ज्यादा उन्हें दीवारों के टेक्चर पर ज्यादा चिंता होती है। जानकारी या अच्छी बातों पर नहीं। हम इन्टरनेश्न स्कूल बना रहे हैं, लेकिन नेश्नलता से दूर हो रहे हैं। अपनी चीजों को भी हम जान नहीं पा रहे है, फिर भी ...... मैं सलाम करता हूं देश के हर उन सभी जवानों को जो हमें जानते नहीं। पर हमारी सुरक्षा में लिए दिन रात प्रयत्न करते हैं। वे सर्दी की सर्द रातों में, गर्मी के गरम दोपहरी में बिना किसी ढाल, छाल के सीमा पर चौकसी करते हैं। उन्हें मेरा शत-शत नमन।।। ------ सुरेंद्र कुमार अधाना
यह ब्लॉग एक विचारधारा है। जिसमें लेखक की अनुभूति है, विचार है, भावनाएं हैं, संवेदनाएं हैं और अधिकारों को सचेत करने की आशा है।
Thursday, 15 January 2015
कौन किस की निगरानी करें

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