Friday 24 January 2014

मेरठ की यातायात व्यवस्था से त्रस्त जनता

जाम के दौरान फुर्सत के माहोल में ये घोड़ा-तांगा चालक।
कहा जाता है कि किसी भी प्रकार की प्रगति तभी संभव है, जब उसतक पहुंचने का रास्त साफ हों !’ ऐसे में यदि प्रगति बाधिक होती है तो रास्ते भी सिमटने लगते हैं। मेरठ के कई ऐसे रास्तें हैं जिन पर जाना मुहाल हो गया है। कहीं नाले खुदे हुए हैं, तो कही नालों की सफाई न होने से कुड़ा-कर्कट जमा हो जाने से नाले जाम हैं, जहां-जहां नालों की सफाई हुई है वहां के नालों की गंदगी सड़क पर पड़ी हुई है, कही सड़के टूटी हुई है, तो कही सड़के के बीचों-बीच सिवेज लाईन की पुलिया बनाई हुई है, जिससे टकराकर कई व्यक्तियों की जान, माल को खतरा हो रहा है, कहीं बारिश का पानी भरा हुआ है, तो कही सड़के के किनारे नाली बनने का काम चल रहा है, जिनकी रोड़ी, डेस्ट सड़क पर बिखरे पड़े है, जिससे वहां से गुजरने वाले लोगों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। इतना ही नहीं रोज-आना कई व्यक्ति उन सड़कों पर पड़ी गंदगी, सड़कों पर फैली रोड़ी-डेस्ट और पुलियाओं के इन उभार से टकराकर जनता चोटिल हो रही है। यह कुछ ऐसे कार्य हैं जो कि समय रहते हुए कर लेने चाहिए थे, लेकिन अभी भी अधर में लटके हुए है। मेरठ में पहले से ही रोहटा फलाइ-आवर ब्रिज का कार्य रुक जाने से सालों से जनता को दूसरे रास्तों से हो कर जाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। लेकिन सिविल लोगों के इस जाम को राहत देने के लिए प्रशासन ने मेरठ कैंट का रास्ता खुलवा दिया था, लेकिन अब मेरठ छावनी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ रास्त अब बंद हो गए हैं। अब मलियाना पुल पर आवागमन अधिक बढ़ गया है। ऐसे में सफाई का कार्य, नाला निमार्ण कार्य और कई रास्तों के ओवर-लोड के चलते इस रास्ते पर हर वक्त जाम की स्थिति रहती है। जिसे टेम्पों चालकों ने और अधिक बढ़ा दिया है। ऐसे में स्कूले के बच्चों, कॉलेज के छात्रों, तथा काम-काजी व्यक्तियों को बहुत अधिक परेशानी उठानी पड़ रही है। ठंड के मौसम में जिस दिन अधिक बारिश हो जाती है  उस दिन सड़क किनारे पड़ी गंदगी सड़कों पर आ जाती है। जिससे वहां की जनता, व्यापारी और आवागमन की समस्याएं और बढ़ा जाती है। सर्द मौसम में यातायात की समस्यां के चलते टेम्पों चालक भी इसका फायदा उठाने से नहीं चूकते। जनता से किराये के रूप में टेम्पों चालक अधिक वसूली करने लग जाते है। यह सारी समयाएं केवल समय पर काम न किये जाने के कारण पनप रही है। यदि समय रहते इस सब को दुरुस्त कर लिया जाए तो शहर में यातायात संबंधी सभी समस्याओं का निपटारा किया जा सकता है। प्रशासन और नगर निगम के सभी पदाधिकारियों से गुजारिश है कि अपने क्षेत्र को आदर्श बनना के लिए जो जिम्मेदारी आप को दी जाती है, उसका शीघ्रता के साथ निपटारा कर लिया जाए। साथ ही इसमें यदि हम समय रहते कामयाब हो जाते हैं तो ऐसे में हम सब मेरठ को साफ, सुंदर और सुरक्षित बना सकते हैं।
सुरेंद्र कुमार अधाना  

परिवर्तन बनाम राजनीति

माना गया है कि परिवर्तन प्राकृति का नियम है। कुछ परिवर्तन खुद आते है। कभी-कभी परिवर्तन लाए जाते है जैसा दिल्ली में आया। वह परिवर्तन प्राकृति का नहीं था, नियोजित था। जिसके लिए सालों तक कड़ी तपस्या की गई और बदलाव की नयी परिभाषा गढ़ी। इससे सत्ता के नशे का भ्रम टूटा है, नयी ऊर्जाओं को जनता ने चुनकर राजनीति की मुख्य धारा में लाकर खड़ा कर दिया है। ऐसे में एक परिभाषा और बन कर ऊभरी है कि हमारा नेता कैसा हो। आम आदमी जैसा हो। इस नारे के साइड-इफेक्ट क्यों होंगें वह तो कुछ महीनों बाद ही पता चल पाएंगे, लेकिन हर चुनाव के दौरान लगाएं जाने वाले जय जयकार बदलाव की दहलीज पर करहा रहा है और अपने आदर्श नेता को खोज रहा है। फिर भी दिल्ली में सत्ता परिवर्तन की इस बयार ने और आम आदमी पार्टियों की हवा ने नेता की परिभाषा को समझने का प्रयास जरूर किया है। जिसके चलते गृह मंत्रालय से भी कुछ जनकारियां इस रूप में आने लगी की दिल्ली की सरकार को चलाने वाले सीएम को किसी बाहरी तंत्र से खतरा है। सो सीएम जेड-श्रेणी की सुरक्षा को ओढ़ कर खुद को सुरक्षित कर लें। लेकिन इन सब को ढुकरा देने वाले सीएम ने तंत्र को इस प्रकार हिला दिया कि पिछले महिने जो पांच राज्यों में चुनाव के रिजल्ट आए थे। उनमें नमो (नरेंद्र मोदी) की जयजयकार होना तय था, क्योकि पांच राज्यों में चुनाव हुए थे, जिनमें से तीन राज्यों में भाजपा की सरकार बनी, एक राज्य में कांग्रेस की और दिल्ली में भी भाजपा से कम वोट हासिल करने वाली पार्टी आप ने वो कर दिखाया जो भाजपा तीन राज्यों में जीत कर चौथे राज्य में सबसे अधिक वोट पाकर भी नहीं कर पाई। इसका सबसे बड़ा खामियजा नरेंद्र मोदी को हुआ। जब भाजपा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए चमकाने का काम कर रही थी। उस समय बिना किसी मेकअप के साफ छवि के चलते आम आदमी पार्टी चमक रही थी। ऐसे में कांग्रेस का सर्मथन आम आदमी पार्टी को जनता के विश्वास को जीतने का बड़ा हथियार साबित हुआ और आप राष्ट्र स्तर पर चमक गई। कांग्रेस की सही मायने में पीएम पद की दावेदारी के लिए रह गई है। दिल्ली में अपनी छवि को धूमिल होते देख कांग्रेस को एक झटका तो लगा ही है। लेकिन बड़े मैदान पर आकर कांग्रेस बड़ा खेल खेलने के लिए अपनी पुर्जोर ताकत के साथ सभी मजबूत पेत्रे जरूर अपनाएंगी। कांग्रेस का आप को समर्थन देना भी उसकी ताकत में शामिल है, जो कि काले धन, भ्रष्टाचार, जीडीपी, एफडीआई  और अनेकों सदन में लंबित पड़े बिलों को भुलाने के लिए एक हथियार के रूप में है। आप पार्टी को जिम्मेदारी में डालकर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में आगे निकलने की मंशा में है। लेकिन यह कांग्रेसी मंशा और राहुल गांधी की छवि को पीएम पद के लिए कितना निखार पाती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। आम आदमी पार्टी की लोगों की बीच जो विश्वास बना है, पार्टी निखरी है उससे एक बात तो तय है कि बदलाब तेजी से नहीं धीरे से आंएगे लेकिन जरूर आंएगे। पीएम पद के लिए दस सालों से भाजपा जो उम्मीदवार दे रही है, क्या वह प्रधानमंत्री बन पाएंगे ? क्या कांग्रेस से ही जनता फिर प्रधानमंत्री चुनेगी ?  या आम आदमी की फिर से जीत होगी, सवाल एक ही है लोकसभा चुनाव 2014।
 - सुरेंद्र कुमार अधाना, नूर नगर मेरठ

adhana_surender@yahoo.com

अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष - 2023

भारत गावों का, किसान का देश है। भारत जब आज़ाद हुआ तो वह खण्ड-2 था, बहुत सी रियासतें, रजवाड़े देश के अलग-अलग भू-खण्डों पर अपना वर्चस्व जमाएं ...