जो पहले नल था अब वह स्वतं चालित जनकूप है, जो पहले नाली थी अब वह नाला है, जो पहले नहर थी अब वह नाला है। जो आज नदियां है वह प्रदूषित सूखी झील है, जिनमें यदा कदा पानी आता है और जहां जहां बचा रह कर या नदियों से प्रदूषित जल यहा
यह ब्लॉग एक विचारधारा है। जिसमें लेखक की अनुभूति है, विचार है, भावनाएं हैं, संवेदनाएं हैं और अधिकारों को सचेत करने की आशा है।
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अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष - 2023
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छोटे से गमले में लगा हुआ है रबड़ का पेड़। यदि गौर करे तो हजारों नज़रे इस तरह के पेड़ देख सकतीं हैं। जो किसी ना किसी चुन्ने से गमले मे...
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