Thursday 22 December 2016

मेरी प्रिय बेटी "नंदनी"

छोटी- छोटी आंखे है उसकी, छोटे-छोटे हाथ।
कभी भी मुस्कुरा देती है, बिना किसी के साथ।।

उसे न किसी की बात सुहाए, न भाए बरसात।
वह अपनी ही धुन में रहती , चाहे रात्रि हो, चाहे प्रभात।।

सारे दिन वह भर-भर सोए, रात्रि में हो जाए उठ तैयार।
रातों में वह सपने बुनती, सुबह थक, सो जाए भरमार।।

सभी को वह टक-टक देखे, पहचाने सबको बार-बार।
थोड़ी देर में सब भूल जाती, फिर से जांचे बारम्बार।।

मैं तरस्ता हूं, उसके एक दिदार को।
प्रेम उसे करता हूं... अथाह ! भरमार !!

© सुरेद्र कुमार अधाना
दिनांक : 22 फरवरी 2015 (कविता लिखने की तिथि)



मैेरे प्रथम जन्मदिवस पर 07 माह की नन्हीं परी, नींद में ही शुभकामनाएं देती हुई। 

8 comments:

Unknown said...

Achi hai bhai

SHIVANI said...

nice lines

Surender kr. Adhana said...

कृष्ण अधाना जी और शिवानी जी आप दोनों का धन्यवाद। आप को कृति पसंद आयी । मुझे अच्छा लगा। हौसला अफ़्जाही के लिए शुक्रिया।

Pooja said...

sir aapka ka thodi na hai first birthday

Pooja said...

very nice lines sir in your poem

Unknown said...

Lovely pem sir and your daughter is soooo cute

Unknown said...

Mahima chauhan

Surender Kumar Adhana said...

thank you mahima

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