भारत सरकार का स्वच्छ भारत अभियान कई सालों से चलता आ रहा है। जिसके लिए करोड़ों रूपये और लाखों की संख्या में नगर पालिकाओं के कर्मचारियों को लगाया गया है। समय-समय पर केंदीय सरकार ने नागरिकों से भी अपील की कि साफ-साफाई करने के लिए वह भी योगदान दें, लेकिन एक सजग नागरिक को शायद पता है कि यह जिम्मेदारी किसकी है। ऐसे में भारत के बड़े- बड़े महानगरों के साथ बड़े नगरों और औद्योगिक क्षेत्रों को सुंदर बनाने के प्रयास ने बहुत से शहरों को चमका दिया है।
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सरकारों ने शहरों के लिए और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए साफ-सफाई के लिए अगल-अगल व्यवस्था की है। अगल बजट दिया है, छोटी-छोटी सुविधाएं भी दी है ताकि वहां के वातावरण को साफ किया जा सके। ग्राम सभाओं को और नगर पालिकाओं को इसके लिए परिवहन और मैला ढौने के लिए सुविधाएं दी है, ताकि नागरिकों द्वारा की जाने वाली गंदगी को साफ किया जा सके। फिर भी स्वच्छता हमारे आस-पास दिखाई नहीं देती .....आखिर क्यों ? क्या कारण है ? सफाई क्यों नहीं हो रही है ? इसके लिए जिम्मेदार कौन है ? यह सब कौन कराएगां आदि सवाल हमारे पास हैं और उनके जवाब भी.....। शायद भारत को कोई भी ऐसा शहर नहीं होगा जहां गंदगी न हो, लेकिन कुछ शहरों में यह अझेल हो गई है। कई स्थानों पर तो गंदगी के ढ़ेर लगे। कई मीटर तक गंदी बदबू जाती है। वहा के आसपास की मिट्टी भी गंद मय हो गई है। लोग वहा से आना जाना भी पसंद नहीं करतें। यह सभी कमियां कुछ व्यवस्थाओं की हैं... बाकि कमी नागरिकों की। यदि तालमेल अच्छा हो तो सफाई का वातावरण बनाया जा सकताा है। जो कि स्वयं न तो सरकार के बस में हो न ही नागरिकों के। सरकार के कुछ विभाग जो अच्छा कार्य करते है उनकी चमक दिख जाती है। मेरठ में पहल -एक प्रयास और मेरा शहर और मेरी पहल जैसे कुछ लोगों के समूह मेरठ व आसपास के जिलों में बहुत ही शानदार काम कर रहे हैं। गंदगी को कम करना कोई बड़ा काम नहीं है बस हमें एक दूसरे के साथ मिलकर उस पर रोज थोड़ा थोड़ा काम करना है और सभी को सफाई के प्रति सजग होकर हाथ बटाने की जरूरत है। जब हम गंदगी करने के लिए अपने हाथ बढ़ा सकतें है तो उसे दूर करने के लिए भी एक जुट हुआ जा सकता है।
यह समस्यां बाहर से नहीं आई है। यह सब हमारी ही देन है और हमें यदि इसे खुद भी दूर करना पड़े तो हमें ऐसा करने में कोई कोताही नहीं करनी चाहिए। हम दिन भर दूसरों की कमियां तू ढूंढ़ सकतें हैं लेकिन एक सबल विचार क्यों नहीं ला सकतें। जो लोग अच्छा काम करते है यदि उन्हें लोगों का सहयोग नहीं मिलता है तो उनकी आस भी टूट जाती है। हमें उनके उत्साह को बनाएं रखे रहना होगा। आगेआकर कार्यकरना होगा। व्यवस्थाएं हमेंशा समूह से नहीं बदली है, एक व्यक्ति के प्रयास से भी तस्वीर बदल सकती है। ऐसे में हमें खुद को कमजोर न समझे हुए अकेले भी कुछ योगदान देना पड़े तो हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए।
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